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अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो ।
आज फिर मुमकिन नही कि, मैं सो जाऊँ;
यादें फिर बहुत आ रही हैं, नींदें उड़ाने वाली!
आया ही था ख्याल के आँखें छलक पड़ी
आंसू तुम्हारी याद के कितने करीब थे
इक अजीब सी बेताबी है तेरे बिन
रह भी लेते हैं और रहा भी नहीं जाता
इक तिरी याद का आलम कि बदलता ही नहीं
वरना वक़्त आने पे हर चीज़ बदल जाती है.
उसे फुरसत नहीं मिलती ज़रा सा याद करने की
उसे कह दो हम उसकी याद में फुरसत से बैठे हैं
उसे मैं याद आता तो हूँ फुरसत के लम्हों मे फराज़
मगर ये हकीकत है, के उसे फुरसत नहीं मिलती
एक दर्द छुपा हो सीने में , तो मुस्कान अधूरी लगती है ।
जाने क्यों बिन तेरे , मुझको हर शाम अधूरी लगती है ।
न जाने आज भी मुझे तेरा इंतज़ार क्यों है
बिछुड़ने के बाद भी मुझे तुझसे प्यार क्यों हैं
कभी तुम्हरी याद आती है तो कभी तुम्हारे ख्व़ाब आते है…
मुझे सताने के सलीके तो तुम्हें बेहिसाब आते है !!
कर रहा था गम-ए-जहां का हिसाब
आज तुम याद बेहिसाब आये
कितने नादाँ ह ये मेरी आँख के आँसु ।
जब भी तेरी याद आती हे इनका भी घर में मन नही लगता
कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ दोस्त,
वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते!
ख्वाब आंसूओ से, बहाये न गये;
न जाने क्यूं आप, भूलाये न गये!
चलता था कभी, हाथ मेरा थाम के जिस पर;
करता है बहुत याद, वो रास्ता उसे कहना!
ज़माने के सवालों को मैं हस के टाल दूँ फराज़
लेकिन नमी आंखों की कहती है, मुझे तुम याद आते हो
जागना भी कबूल हैं तेरी यादों में रात भर,
तेरे एहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ |
ज़िन्दगी जब भी किसी शै को तलब करती है
मेरे होंटों से तेरा नाम मचल जाता है
तेरी यादें पल भर के लिए दूर क्या हो जाते हैं ,
तो हम ‘बिखरने’ से लगते हैं..
तेरी जरूरत, तेरा इंतजार और ये तन्हा आलम,
थक कर मुस्कुरा देता हूँ, मैं जब रो नहीं पाता !!
तेरी यादें भी न मेरे बचपन के खिलौने जैसी हैं;
तन्हा होता हूँ तो इन्हें लेकर बैठ जाता हूँ।
तेरी यादो को पसन्द आ गई है मेरी आँखों की नमी,
हँसना भी चाहूँ तो रूला देती है तेरी कमी…!!
तेरे बगैर भी जीना बहुत मुहाल नहीं
ये बात और है के मुझसे जिया नहीं जाता
दीदार तो एक ख़्वाब ठहरा, बात भी बेशक़ न हो;
बस एक तेरी ख़ैरियत का, पैग़ाम मिल जाया करे!
न तेरी याद ,न तसव्वुर ,न तेरा ख़याल
लेकिन खुदा क़सम ,तुझे भूले नहीं है हम !!
नज़रों से दूर सही दिल के बहुत पास है तू..
बिखरी हुई इस ज़िन्दगी में मेरे जीने की आस है तू..
ना जाने लोग, खुद चले जाने के बाद;
अपनी यादों को, क्यूँ छोड़ जाते है!
पहलू में रह के दिल ने दिया बड़ा फरेब
रखा है उसको याद, भुलाने के बाद भी
बड़ी गुस्ताख है तेरी यादें इन्हें तमीज सिखा दो
दस्तक भी नहीं देती और दिल में उतर आती हैं
भूल गए है कुछ लोग, हमे इस तरह;
यकीन मानो, यकीन ही नही आता।
मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए,
बस एक बार आ जा, अपनी यादें वापस ले जाने के लिए..!!
मुझे भी सिखा दो भूल जाने का हुनर..
मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुम्हें याद करते करते..!!
मुद्दत से जागी आँखों को एक बार सुलाने आ जाओ.!.
माना कि तुम्हें प्यार नहीं, नफरत ही जताने आ जाओ..!!..
मेरी आँखों में आँसू नहीं बस कुछ “नमी” है?
वजह तू नहीं तेरी ये “कमी” है..
मैं नींद का शोकीन ज्यादा तो नही..
लेकिन तेरे ख्वाब ना देखूँ तो.. गुजारा नही होता..!
याद आते हैं तो कुछ भी नहीं करने देते
अच्छे लोगों की यही बात बहुत बुरी लगती है
याद करने की हमने हद कर दी मगर
भूल जाने में तुम भी कमाल रखते हो
याद करने के सिवा तुझे कर भी क्या सकते हैं
भूल जाने में तुझे नाकाम हो जाने के बाद
यादों की मेज़ पर कोई तसवीर छोड़ दो
कब से मेरे ज़हन का कमरा उदास है
यूँ लगे दोस्त तेरा मुझसे खफ़ा हो जाना
जिस तरह फूल से खुशबू का जुदा हो जाना |
ये रात ये तनहाई और ये तेरी याद
मैं इश्क न करता तो कब का सो गया होता
लोग कहते है हर दर्द की एक हद होती है,
कभी मिलना हमसे हम वो सीमा अक्सर पार करके जाते है|
सारी सारी रात सितारों से उसका ज़िक्र होता है
और उसको ये गिला है के हम याद नहीं करते
सुनो! या तो मिल जाओ, या बिछड जाओ,
यू सासो मे रह कर बेबस ना करो|
सौदा कुछ ऐसा किया है तेरे ख़्वाबों ने मेरी नींदों से..
या तो दोनों आते हैं, या कोई नहीं आता..
हम समझते थे के अब यादो की किश्ते चुक चुकीं
रात तेरी याद ने फिर से तकाजा कर दिया
होती है बड़ी ज़ालिम एक तरफ़ा मोहब्बत
वो याद तो आते हैं मगर याद नहीं करते .
FILED UNDER: LOVE SHAYARI, araman singh baudh354
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